17 नवम्बर बलिदान दिवस के अवसर पर "पंजाब केसरी लाला लाजपतराय" के जीवन से कुछ बांते!
नसीब सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष/निदेशक Crime Investigation & Anti-Corruption Bureau (C.I.A.B.) ‘‘यदि तुमने सचमुच वीरता का बाना पहन लिया है, तो तुम्हें सब प्रकार की कुर्बानी के लिए तैयार रहना चाहिए। कायर मत बनो। मरते दम तक पौरुष का प्रमाण दो। क्या यह शर्म की बात नहीं कि कांग्रेस अपने 21 साल के कार्यकाल में एक भी ऐसा राजनीतिक संन्यासी पैदा नहीं कर सकी, जो देश के उद्धार के लिए सिर और धड़ की बाजी लगा दे...।’’* "इन प्रेरणास्पद उद्गारों से 1905 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में लाला लाजपतराय ने लोगों की अन्तर्रात्मा को झकझोर दिया। इससे अब तक अंग्रेजों की जी हुजूरी करने वाली कांग्रेस में एक नये समूह का उदय हुआ, जो ‘गरम दल’ के नाम से प्रख्यात हुआ। आगे चलकर इसमें महाराष्ट्र के बाल गंगाधर तिलक और बंगाल से विपिनचन्द्र पाल भी शामिल हो गये। इस प्रकार लाल, बाल, पाल की त्रयी प्रसिद्ध हुई।* "लाला जी का जन्म पंजाब...