डॉ शिव का अपमान सहन नहीं करेगी जनता, आई हॉस्पिटल को डूबने से बचाए सरकार

डॉ शिव का अपमान सहन नहीं करेगी जनता, आई हॉस्पिटल को डूबने से बचाए सरकार
नसीब सिहँ :---> राष्ट्रीय अध्यक्ष/निदेशक
Crime Investigation & Anti-Corruption Bureau
Edtior-In-Chief :--> CIAB NEWS 24
Dr. शिव कुमार जी के ड्रीम प्रोजेक्ट  Rotary Eye Hospital  पर आखिर क्यों मंडराने लगे काले बादल?

आई हॉस्पिटल की स्वर्गीय Dr. Shiv Kumar की अध्यक्षता में  नींव रखी गई थी और  कमेटी का गठन किया गया था।उनका एक सपना था कि हिमाचल के लोगों को आंखों से संबंधित कोई भी समस्या है उसका इलाज उनको अपने घर द्वार पर मिले और मरीज को महंगे इलाज के लिए चंडीगढ़ या दिल्ली के चक्र न काटने पड़ें। 

आज इस हॉस्पिटल ने उनकी वजह से ही  बहुत  ऊंचा मुकाम हासिल किया है।आज ये हॉस्पिटल हर प्रकार की आधुनिक सुविधाएं से लेस हैं। ये सब dr. शिव कुमार की कड़ी मेहनत और लगन से ही हासिल हो पाया है। लेकिन आज संस्था की संचालन कमेटी की कार्यप्रणाली पर जो तंज कसे जा रहे हैं  ये सब इनकी कार्यशेली पर सवालिया निशान पैदा करता है और खासकर वह जिनके कंधों पर संस्था को चलाने की जिम्मेबारी सौंपी गई थी बो  इसको निभाने में असफल क्यों  हो रहे हैं और क्यों इन सब के विरुद्ध  कड़ी आलोचना हो रही है। वह डैमेज कंट्रोल क्यों नहीं कर पा रहे हैं?
 आखिर क्या कारण है?  ऐसा कौन सा अंदरखाते  संकट मंडरा रहा है? 

Dr शिव कुमार को स्वर्गवास हुए अभी एक साल ही हुआ है आखिर इतनी जल्दी क्योँ टूटने लगे हैं उनके सपने। जिस पौधे को सींचने और बड़ा करने में उन्हें तीन दशक लग गए वह नई कमेटी बनते ही ताश के पत्तों की तरह क्यों बिखरने लगा है....नई कार्यकारिणी के हाथों से क्यों फिसलता जा रहा है यह अस्पताल?

कितने दुख की बात है कि इंसान वक्त गुजरने के साथ कितना स्वार्थी हो जाता है। गवर्निंग बॉडी ने उनकी पुण्य स्मृति पर उनकी फोटो पर एक फूलमाला चढ़ाना भी गंवारा नहीं समझा। कार्यक्रम आयोजित करना तो दूर की बात। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त समाजसेवक की इतनी घोर बेइज़्जती जनता कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।

आम जनता का मानना है कि या तो इस अस्पताल की गवर्निंग बॉडी को तत्काल भंग करके एक नई कार्यकारिणी का गठन किया जाए जिसकी कमान किसी युवा, ऊर्जावान, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और मिलनसार, समझदार व्यक्ति के हाथ में सौंपी जाए जो इस आई फाउंडेशन को आगे बढ़ा सकें। 

वयोवृद्ध, बीमार, जीर्ण-शीर्ण और कंपकंपाते हाथ आखिर कैसे और कब तक संभालेंगे इस अस्पताल को? 

लोगों का मानना है कि इन कमज़ोर हाथों की वजह से तो यह अस्पताल निरन्तर निम्न स्तर की ओर अग्रसर होता जा रहा है।
या जनता के अनुसार बेहतरीन उपाय यह है कि पिछले 37 साल से चल रहे इस अस्पताल को सरकार इसे अपने हाथों में अतिशीघ्र ले ताकि डॉ शिव के सपने को टूटने से बचाया जा सके और जनता को इसका लाभ मिलता रहे वरन यह अस्पताल कुछ हो समय का मेहमान नज़र आता है।

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