*अफगानिस्तान पर भारत की कूटनीतिक पकड़*
*अफगानिस्तान पर भारत की कूटनीतिक पकड़*
नसीब सिंह :---> राष्ट्रीय अध्यक्ष/निदेशक
Crime Investigation & Anti-Corruption Bureau
*हम सभी ने ऐसा ही देखा है कि अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा हो जाने के बाद, भारत वहां से अपने लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल कर चुपचाप बैठ गया है ? इस को लेकर हम भारतीयों के साथ साथ पूरी दुनिया के बुद्धिजीवी भारत की इस नीति को लेकर सवाल खड़े कर रहे थे, लेकिन विश्व के कुछ देश जानते थे कि भारत चुपचाप नहीं बैठा है, बल्कि भारत कुछ रहस्यमय गतिविधियां करने में लगा है।*
*कुछ दिनों पहले काबुल हवाईअड्डे पर अमेरिका से दो बड़े विमानों से भारी संख्या में हथियार आए थे और उन हथियारों को हेलिकॉप्टर में भरकर पंजशीर के नॉर्दन एलायंस के पास पहुंचाया गया था। तालिबान और पाकिस्तान पंजशीर को तबाह करना चाहते हैं। तालिबान के नाम पर अब अलकायदा, ISIS खुरासान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर ए तैयबा ओर जैश ए मोहम्मद ने पाकिस्तान के साथ मिलकर पंजशीर पर हमला किया । पाकिस्तान अपने ड्रोन ओर एयरक्राफ्ट से हवाई हमला और उपरोक्त सभी आतंकवादी संगठन जमीन से हमला करते रहे। इस से नॉर्दन एलायंस की सेना पूरी तरह लड़खड़ा गई और तालिबान ने पंजशीर के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया।*
*पंजशीर की कई जगहों को कब्जा करके बैठे तालिबान+ पाकिस्तान के आतंकवादी रात में भी लड़ाई कर रहे थे। एका एक आधी रात को कुछ लडाकू विमान पंजशीर के आसमान में मंडराते हुए आए। जहां जहां यह आतंकवादी बैठे हुए थे, वहां वहां पिन पॉइंट पर एयर स्ट्राइक करके आतंकवादियो का सफाया कर चले गए। न चीन के शिनजियांग प्रांत में लगे रेडार उनको पकड़ पाए, न पाकिस्तान के रेडार, न ईरान के रडार पकड़ पाए। एक रात में तस्वीर बदल गई, सुबह होते होते जो बचे कुचे आतंकवादी पंजशीर में थे, वह अपनी अपनी जान बचाते हुए भाग खड़े हुए।*
*इस प्रकार पंजशीर फिर एक बार प्रतिरोधी सेना के कब्जे में आ गया। न चीन ने सोचा था, न पाकिस्तान ने कि एक रात में बाजी पलट जाएगी। पाकिस्तान अब भी सदमे में है कि ऐसा कैसे हो गया ?? क्यूंकि पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI का चीफ काबुल में था और उसकी देख रेख में यह सब हो रहा था।अब इस पर भारत की भूमिका क्या रही, आप लोगों को समझ में आ गया होगा। उस रात के वाकया को लेकर विश्व के 2 शीर्ष शक्तिशाली देश जान चुके थे कि अफगानिस्तान का पावर बटन कहां पर है, इसलिए अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत के साथ बातचीत करने के लिए अमेरिका के NSA ओर उनके साथ अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के प्रमुख और पूरा प्रतिनिधि मंडल, दूसरी तरफ रूस की NSA और उनकी खुफिया एजेंसी FSB के प्रमुख व उनका पूरा प्रतिनिधि मंडल एक साथ भारत पहुंच चुका था।*
* कूटनीतिक लिहाज से यह बहुत बड़ी घटना है कि इन दो शक्तिशाली देशों के National security Adviser भारत के national security Adviser अजीत डोभाल साहब के पूरे पलटन से बातचीत करेंगे। डोभाल साहब से यह दो शक्तिशाली देश क्यूं बात करना चाहते हैं !? इस पर एक वाकये से बात स्पष्ट हो जाएगी। 8 साल पहले अजीत डोभाल अमेरिका गए थे. ओर वहां एक सेमिनार को संबोधित करते हुए एक भविष्य वक्ता की तरह उन्होंने आज अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है, तब वहां एक एक करके पूरी बारीकी से बताया था। अजीत डोभाल की अफगानिस्तान पर कितनी पैठ है इस उपमहाद्वीप में और वह कितने बड़े खिलाड़ी हैं इस बात को अमेरिका और रूस दोनों समझ रहे हैं।*
*ऐसे ही भारत में आतंकवादियों का हमला या बम विस्फोट रूक नहीं गये हैं। इसके लिए डोभाल साहब की अहम भूमिका है। उन्होंने मोदी सरकार में NSA की बागडोर संभालते ही, पहले भारत के खुफिया तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन किया, और उसे शक्तिशाली बनाया। पूरी दुनिया में भारत की पकड़ मजबूत हुई। इसलिए अमेरिका और रूस जानते हैं कि अफगानीस्तान के मुद्दे को टेकल करने के लिए भारत एक अहम साझेदार है। इसलिए अफगानिस्तान पर भारत की कूटनीति विश्व कै लिए आश्चर्यजनक बनी हुई है।*
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